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प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता

किसी से किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है। आप स्वयं में जैसे हैं एकदम सही हैं। खुद को स्वीकारिये।
-ओशो

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अमीरी और गरीबी मे फर्क

अमीरी ले जाती है जेवर की दुकान पर, और गरीबी कान छिद्वती है, एक टिन का पहनने के लिये .  फूटपथ पर सो जाते हैं अखबर बिछकर मजदुर कभी नींद की गोली नहीं खाते दौलत है बेशुमार मुक्कदर को क्या कहें है मखमली बिस्तर मगर हम सो नहीं पाते